इस लेख में आन्त्रीय रस ( Enteric Juice ) विषय के बारे में है । तो चलिए आगे जानते है इसके बारे में कि आन्त्रीय रस क्या है और इसका महत्त्व —
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आन्त्रीय रस क्या है? इसका महत्त्व! ( What is enteric juice )
आन्त्रीय रस ( Enteric juice ) — ग्रहणी की अधःश्लेष्मिका में मौजूद ब्रुनर की ग्रन्थियों और पूरी छोटी आंत की श्लेष्मिका में मौजूद आन्त्रीय ग्रन्थियों द्वारा स्रावित तरल और आन्त्रीय श्लेष्मिक कला की चषक कोशिकाओं द्वारा स्रावित श्लेष्म का मिश्रण आन्त्रीय रस होता है । यह एक साफ , हल्के पीले से रंग का क्षारीय तरल होता है । हमारी आँत में दिनभर में लगभग 2 लीटर आन्त्रीय रस स्रावित होता है । इसका अधिकांश भाग जल होता है जिसमें पाचक एन्जाइम , लाइसोजाइम ( lysozyme ) , अकार्बनिक आयन ( inorganic ions ) आदि घुले रहते हैं । इसका श्लेष्म आन्त्रीय श्लेष्मिक कला पर फैलकर कला को पाचक एन्जाइम्स के दुष्प्रभाव से बचाता है । यदि काइम में रोगाणु होते हैं तो आन्त्रीय रस का लाइसोजाइम इन्हें नष्ट करता है ।
आन्त्रीय रस का स्राव — 2 लीटर प्रतिदिन
आन्त्रीय रस का ph मान — pH 7.5 से 8.0
पोषक पदार्थों को पचाने के लिए इसमें निम्नलिखित पाचक एन्जाइम्स होते हैं ;
( 1 ). इरेप्सिन ( Erepsin )
यह प्रोटीन पाचन को पूरा करने वाले कई एक्सोपेप्टिडेज ( exopeptidase ) एन्जाइम्स का सामूहिक नाम है । इनमें ऐमनोपेप्टिडेज़ेज तथा कार्बोक्सिपेप्टिडेज़ेज पोलिपेप्टाइड्स एवं ट्राइपेप्टाइड्स को सीधे ऐमीनो अम्लों में तोड़ते हैं । अन्य एन्जाइम डाइपेप्टिडेज़ेज ( dipeptidases ) होते हैं जो डाइपेप्टाइड्स ( dipeptides ) को ऐमीनो अम्लों में तोड़ते हैं ।
( 2 ). कार्बोहाइड्रेट – पाचक एन्जाइम या कार्बोहाइड्रेज़ेज ( Carbohydrases )
कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन को पूरा करने के लिए आन्त्रीय रस में माल्टेस , सुक्रेस ( इन्वर्टेस ) तथा लैक्टेस नामक पाचन एवं अवशोषण 393 एन्जाइम होते हैं । ये काइम के क्रमशः माल्टोस को ग्लूकोस , सुक्रोस को फ्रक्टोस एवं ग्लूकोस तथा लैक्टोस को गैलैक्टोस एवं ग्लूकोस में यानी मोनोसैकेराइड्स में तोड़ते हैं ।
( 3 ). एन्टीरोकाइनेज ( Enterokinase )
यह एन्जाइम ग्रहणी में पहुँचकर अग्न्याशयी रस के ट्रिप्सिनोजन को सक्रिय ट्रिप्सिन में बदलने का काम करता है ।
( 4 ). आन्त्रीय लाइपेज ( Intestinal Lipase )
यह काइम की बची – खुची वसा को मोनोग्लिसराइड्स एवं वसीय अम्लों में तोड़ता है ।
( 5 ). न्यूक्लिऐजेज ( Nucleases )
ये काइम में उपस्थित न्यूक्लिओसाइड्स को इनके संघठक नाइट्रोजनीय समाक्षारों एवं शर्कराओं में विखण्डित करते हैं । आन्त्रीय रस के अधिकांश पाचक एन्जाइम श्लेष्मिक कला की कोशिकाओं के सूक्ष्मांकुरों की प्लाज्मा कला में निलम्बित होते हैं । अतः इन्हें ब्रुश – बोर्डर एन्जाइम कहा जाता है ।
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